आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में

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Friday, December 26, 2014

मंगलयान की सफलता (अक्टूबर, 2014)

मंगलयान की सफलता से 
मंगलमय हो रहे देश में
कृतसंकल्प वैज्ञानिकों को नमन करते हुए
उम्मीद करता हूँ मैं कि
नहीं लगेगा अब किसी भी भारतीय कन्या को
वर पाने के लिए मंगल-दोष
क्योंकि ज्योतिषियों को अब मान लेना चाहिए
सारे ही भारतीयों को मंगली।

वैसे ज्योतिषी होने नहीं देंगे ऐसा कभी
क्योंकि आज तक वे हमेशा ही सिद्ध हुए हैं
अधिक विश्वसनीय और ताक़तवर
विश्व को अनेक अमूल्य निधियाँ सौंपने वाले 
हमारे वैज्ञानिकों की तुलना में।

कवियों की जमात थोड़ी अलग होती है
चन्द्रयान की सफलता के बाद
बहुत बड़ी कमी आई है उनकी उपमाओं में चाँद की
निश्चित ही अब मंगल कम दिखेगा उनके बिम्बों में 
लेकिन उनके पास बिम्बों की क्या कमी है
उनका काव्ययान शायद अब और अधिक केन्द्रित हो जाएगा
शुक्र और सूर्य के परिक्रमा-पथों पर
या अन्य सौर-मंडलों, गैल्क्सियों व ब्रह्माण्डों के रहस्यों पर।

देश के नेताओं और मुनियों का मान बढ़ा है
गरीबों के सपनों के रथ पर मंगलयान चढ़ा है
अमीरों ने अपने उद्यम का नया विधान गढ़ा है
हम सबने साहस का नव आख्यान पढ़ा है।


देश के वैज्ञानिकों, अनन्त बधाइयाँ,
तुमने असंभव को संभव कर डाला
लेकिन देश के कर्णधारों तुमसे बड़ी शिकायत है
तुमसे हमेशा ही तांत्रिकों को भरपूर पाला
और देश के वैज्ञानिकों को सदा ही दिया देशनिकाला।

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