आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में

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Saturday, May 3, 2014

स्वार्थ (1982)

हम, तुम,
वह, आप,
सब जुड़े हैं
स्वार्थ की ज़िल्द से

किताब के पन्नों की तरह।

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