आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में

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Sunday, July 17, 2011

इन्द्रधनुष

सतरंगी सपनों का स्वामी बन
उम्मीदों की किरणों के संग उदित हो
आकाश में आर्द्रता के उद्बुदों पर तन कर
हमें निराशा के पंक में डूबने से बचाता है
इन्द्रधनुष।

जीवन का गहरा अवसाद मिटा
धरती से अम्बर तक
जिजीविषा का एक अद्भुत सेतु सजाता है
इन्द्रधनुष !

टूटे छप्परों की सांसों और
सूखे दरख़्तों के पीछे से भी
कितने सुंदर अहसास जगाने वाला होता है,
इन्द्रधनुष !

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