आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में

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Tuesday, October 20, 2015

फूल

फूलों की ईर्ष्या पैदा करने वाली ताजगी
उनकी पंखुड़ियों के चकित कर देने वाले बेशुमार रंग
उनके पराग की मनमोहक सुगन्ध
उनके फलों की अपार पौष्टिकता
उनके बीजों की उदात्त सृजनशीलता

अहा ... हा! ये फूल सारे!
मेरे जीवन से कितने श्रेष्ठ!
मसले जाने पर भी दे जाते
अँगुलियों के पोरों पर मृदुलता यथेष्ट!

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