त्रिज्या छोटी हो या बड़ी
परिधि पर परिक्रमा करते हर बिन्दु की
प्रवृत्ति एक जैसी होती है
और परिणति भी एक जैसी
परिधि पर ही संचरित होते रहना
प्राय: नीरसता से भरा होता है
एक तरह से देखा जाय तो
बिन्दु की जड़ता का प्रतीक भी
परिधि से बाहर की ओर का विस्थापन
उन्मुक्त कर देता है
बिन्दु की ऊर्जा और गति को
परिधि से केन्द्र की तरफ का विचलन
बिन्दु के गतिहीन हो जाने
और विलय का प्रतीक होता है
किसी केन्द्र के आकर्षण में
परिधि पर ही जमे रहना
त्रिज्या की लम्बाई के आधार पर
बिन्दु को निरन्तर कुंठा या आह्लाद से भरता रहता है
इसीलिए किसी भी अवस्था में
परिधि से बाहर या भीतर की ओर
विचलित होने का प्रयास ही
करता रहता है बिन्दु
बिन्दु का परिधि से परे हटना
उसके अपने स्थापित आकर्षण - केन्द्र से मुक्त हो जाने
तथा नए आकर्षण - केन्द्र की तलाश में
जुट जाने की सूचना होता है
भले ही वह ऐसे किसी
आकर्षण - केन्द्र के परिक्रमा - पथ तक पहुँच पाए
या उस तक पहुँचने के प्रयास में
अपने वज़ूद को ही कहीं खो बैठे
किसी आकर्षण - केन्द्र के
अपनी परिधि पर स्थित बिन्दु के
नजदीक आने का अर्थ
कभी उसका विस्थापित होना न होकर
अधिक शक्तिशाली और आकर्षक हो जाना ही होता है
और उस बिन्दु का शक्तिहीन होकर
केन्द्र के समक्ष आत्मसमर्पण कर देना भी
किसी आकर्षण - केन्द्र की परिधि के
भीतर और बाहर, दोनों तरफ
विरले ही होते हैं ऐसे बिन्दु
जो बोसॉन कणों की भाँति
कभी भी टूट या जुड़ सकते हैं
कहीं भी किसी दूसरे बिन्दु से
उसे ऊर्जा और गति से भरते हुए
और आकर्षण - केद्रों की स्थापित त्रिज्याओं व परिधियों के
अस्तित्व को झुठला देने वाली उन्मुक्तता से भरे
एक रहस्यमयी आकर्षण का संचार करते हुए।