चिलचिलाती धूप है यह
आत्माहुतियों से सेवित
अग्नि-दाहों से उपजा
जमाने भर का संचित ताप समेटे।
सामने बस पत्ता भर छांव है
सुलगते चूल्हे पर
धूमाक्रमित आँख से टपकी
आँसू की एक बूँद जैसी
निश्फल आश्वासन देती।
मेरे भष्मावशेषों को
समेटने तक के लिए भी
जरूरत भर की शीतलता न दे पाएगी
आसमान से उतारी गई
सुख की पत्ता भर छाँव यह।
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