आखिरकार तमाम आशंकाओं का निराकरण करते हुए
वे हमारे देश के टी वी चैनलों पर
अपनी उदारता का परचम लहराते हुए
किसी देवदूत की तरह आए
मैंने सोचा कि
'काले वर्षतु पर्जन्य:' की प्रार्थना करने वाले
हमारे लोकतंत्र के सावन में वे
आजकल अक्सर बिन बरसे चले जाने वाले
या बरसकर सब कुछ बहा ले जाने वाले
काले बादलों की तरह क्यों आए!
वे दोस्ती का पैगाम हवा में लहराते हुए
गरीबी और भुखमरी की नीम पर
नौकरियों और पूंजी के झूले सजाते हुए
तकनीक और ऊर्जा की कजरी गाने के बहाने
खुले बाज़ार और मुक्त व्यापार की पींगे बढ़ाते हुए
हमारी खुशहाली और प्रगति की रक्षा की राखी बंधवाने के नेग के तौर पर
हथेली पर सब्सिडी और कार्बन उत्सर्जन कम करने का मांगपत्र टिकाते हुए
बड़े ही जोशोखरोश से आए
उनके आने के अंदाज़ से
फिलहाल हम कुछ भी न समझ पाए
लेकिन इतना तो हम समझ ही गए
उनके यहाँ से जाने के बाद ही हमें पता चल पाएगा
कि वे वास्तव में
इस क्लाइमेट चेन्ज़ के दौर में यहाँ क्यों आए!
वे हमारे देश के टी वी चैनलों पर
अपनी उदारता का परचम लहराते हुए
किसी देवदूत की तरह आए
मैंने सोचा कि
'काले वर्षतु पर्जन्य:' की प्रार्थना करने वाले
हमारे लोकतंत्र के सावन में वे
आजकल अक्सर बिन बरसे चले जाने वाले
या बरसकर सब कुछ बहा ले जाने वाले
काले बादलों की तरह क्यों आए!
वे दोस्ती का पैगाम हवा में लहराते हुए
गरीबी और भुखमरी की नीम पर
नौकरियों और पूंजी के झूले सजाते हुए
तकनीक और ऊर्जा की कजरी गाने के बहाने
खुले बाज़ार और मुक्त व्यापार की पींगे बढ़ाते हुए
हमारी खुशहाली और प्रगति की रक्षा की राखी बंधवाने के नेग के तौर पर
हथेली पर सब्सिडी और कार्बन उत्सर्जन कम करने का मांगपत्र टिकाते हुए
बड़े ही जोशोखरोश से आए
उनके आने के अंदाज़ से
फिलहाल हम कुछ भी न समझ पाए
लेकिन इतना तो हम समझ ही गए
उनके यहाँ से जाने के बाद ही हमें पता चल पाएगा
कि वे वास्तव में
इस क्लाइमेट चेन्ज़ के दौर में यहाँ क्यों आए!
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