आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में

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Monday, May 11, 2015

आदमी का होना

प्रातः भ्रमण के समय
मेरे बेटे ने भोलेपन से पूछा, - 
"पापा! पक्षियों का जीवन आदमियों से अच्छा होता है न?"
मैंने कहा, - "क्यों?"
"क्योंकि वे आकाश में उड़ सकते हैं
सभी कुछ देख सकते हैं
बिना पासपोर्ट - वीसा के भी
अन्य देशों में जा सकते हैं।"

मैं कुछ उत्तर देता
उसके पहले ही वह फिर बोल उठा, - 
"आपने देखा नहीं!
किसी भी प्रजाति के पक्षी आपस में लड़ते नहीं
यहाँ तक कि कौआ, कौए से, बाज, बाज से
और कठफोड़वा, कठफोड़वे से
,
किसी भी प्रजाति के सारे पक्षी
एक ही सुर में बोलते हैं
गाते हैं, चहचहाते हैं,
हम सबको एक जैसे भाते हैं
एक साथ मिलकर खाते हैं
सरेआम गलबहियाँ मेलते हैं
सभी मिल - जुलकर खेलते हैं
संग - संग उड़ते हैं
एकजुट हो लड़ते हैं
एक - दूसरे को सतर्क करके ख़तरों से बचाते हैं
आपने देखा नहीं! 
सांप को पास से गुजरते देखकर
सब कैसे एक साथ चिल्लाते हैं!
और आदमी के पास से गुजरने पर तो पूछो
ही नहीं!
पापा! क्या आदमी दुनिया का सबसे ख़तरनाक जानवर होता है?"

मेरे पास बेटे के प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं था
क्योंकि मेरे पास आदमियों को 
किसी भी पक्षी से बेहतर बताने का कोई सुबूत नहीं था

यही नहीं,
शायद मेरे बेटे की ही तरह

मुझे भी धीरे – धीरे अब यह लगने लगा है कि 
आदमी का इस धरती पर होना ही
सृष्टि के वज़ूद के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है

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