मसूरी की पहाड़ियों की सुरम्य
वादी में स्थित अकादमी
देश की व्यवस्था के सीने में
निरन्तर ऑक्सीज़न भरने वाली
तरह – तरह के वृक्षों से सजी – संवरी एक बगिया है
इसमें एक छोर पर हरे – भरे
शिखर की ओर बढ़ रहे
अपने फलों को और मीठा बनाने
की तरकीब खोजते
पंचम अवस्था वाले घने व मजबूत
वृक्ष हैं
दूसरी ओर अभी - अभी बीजों से अंकुरित
हुए
आधारभूत गुणों से संपन्न नए – नए पौधे हैं
जिन्हें विभिन्न अवस्थाओं से
गुजरते हुए आगे चलकर
मौजूदा वृक्षों से भी सघन
सुस्वाद फलों से लदे वृक्षों
में तब्दील हो जाना है
यहाँ इन दोनों को ही
खाद – पानी दे – देकर पोषित करने वाले
कुछ सिद्धहस्त माली भी हैं
और अपने अनुभवों के हारमोन्स
से
इस उपवन के समस्त वृक्षों में
पल्लवित, पुष्पित और फलदार
होने का स्टिमुलस पैदा करते
सृष्टि के ढलान पर जमे कुछ
महाबोधिवृक्ष भी हैं
सृजन की विभिन्न अवस्थाओं का
यह संगम
इस बात का पूरा विश्वास जगाता
है
कि इसी की हरियाली से
अभिरंजित
और इसी की महक से सुरभित होने
वाला है भविष्य में
इस देश के आकाश का हर एक
कोना।
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