आग घर ही नहीं जलाती
आग रोटी भी पकाती है
आग की सबसे बड़ी सार्थकता यही है कि
वह हमारे जीवन को ठंड से बचाती है
आग से घिरी लकड़ी जले, न जले
शोलों की धधक असली हो या नकली
इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता
बस आग की लपटें असली होनी चाहिए
और उन लपटों में वह आँच होनी चाहिए
जो हमारे जीवन में घुस रही ठंड को ग़ायब कर दे
जब बर्फ़ का मौसम आने वाला होता है
लोग घरों में आग जलाने का इंतज़ाम जरूर करते हैं
जब रिश्तों में ठंड आने लगे
तब उनमें गरमाहट लाने के लिए भी
थोड़ी - सी आग जलाने की कोशिश जरूरी होती है
और जब विचारों में ठंड घुसने लगे
तब तो बेहद जरूरी हो जाता है
कि कहीं से कोई आग जले और
हमारी सोच में उसकी गरमी घुस जाए।
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