अभी - अभी ख़बर आई है
आलोचक कमला प्रसाद जी नहीं रहे।
यूँ ही कभी आयेगी एक ख़बर
और भी नामचीन लोगों के बारे में।
जिन - जिन के साथ
लिखने - बोलने - खिलखिलाने व हुंकारने - दहाड़ने
का
सलीका सीखा इतने वक़्त तक
किसी न किसी दिन
उन सभी के बारे में
आयेगी ऐसी ही कोई ख़बर।
जाना तो सभी को है नेपथ्य में
एक न एक दिन
इस रंग - मंच से।
पके आम से टंगे हैं जो
टपकेंगे ही एक न एक दिन डाल से,
अच्छा ही होता है आम का
पकने पर डाल से टपक जाना
ताकि चूस सकें लोग उसका रस जी भर
और इस्तेमाल कर सकें उसकी गुठली भी
वैसा ही एक और पेड़ जमाने के लिए,
इसी में मिलती है
अंतिम तुष्टि व आत्म - शांति
जैसी अवश्य मिली होगी कमला प्रसाद जी को।
कुछ नहीं मिलता
जब टपक जाता है कोई
अमिया सा कच्चा ही
अचानक ही किसी आँधी के झंकोरे में
छोड़ कर अपने पीछे बस एक बकठाहट व खटास।
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