पानी जड़ों तक पहुँच नहीं रहा
क्योंकि बारिश बहुत हल्की है
ऐसे में पेड़ को तो सूखना ही है।
क्योंकि बारिश बहुत हल्की है
ऐसे में पेड़ को तो सूखना ही है।
पेड़ अभी तक बचा हुआ है
क्योंकि वह बीच - बीच
में पड़
रही
फुहारों की सरसता का मज़ा लेता हुआ
फुहारों की सरसता का मज़ा लेता हुआ
अपनी क्षणिक जीवंतता का
पूरी तरह आस्वादन करता रहा है।
पेड़ बहुत ही पुराना है,
अपनी पल्लवन और प्रजनन की क्षमता का
पहले ही पूरा दोहन कर चुका है वह,
किन्तु आज तक ढेरों बीज उपजाकर भी
नहीं पनपा पाया वह कहीं भी
अपने जैसे पेड़ों का कोई सघन सदाबहार वन,
ताकि न रह जाए कहीं कोई ख़तरा
उसकी प्रजाति के विलुप्त हो जाने का
पेड़ बहुत ही पुराना है,
अपनी पल्लवन और प्रजनन की क्षमता का
पहले ही पूरा दोहन कर चुका है वह,
किन्तु आज तक ढेरों बीज उपजाकर भी
नहीं पनपा पाया वह कहीं भी
अपने जैसे पेड़ों का कोई सघन सदाबहार वन,
ताकि न रह जाए कहीं कोई ख़तरा
उसकी प्रजाति के विलुप्त हो जाने का
और होती भी रहे हर साल
झमाझम बारिश
करने को सदा ही उसकी जड़ें अभिसिन्चित।
पेड़ की जड़ें शनैः - शनैः सूखती जा रही हैं
उसके मोटे तने में नहीं हो पा रहा अब
उन पोषक तत्वों का भरपूर प्रवाह
जिनसे मिल सके उसकी हर एक फुनगी को
पल्लवित और पुष्पित होने की शक्ति।
पेड़ अपने ही अहं और आत्ममुग्धता का शिकार है,
वनों के भविष्य से उसने खुद ही नाता तोड़ लिया है
ऐसे में सूखकर मिट जाना ही
उसका भवितव्य है और
और उसकी प्रजाति का विलुप्त हो जाना
प्रकृति - चक्र की अनिवार्यता।
करने को सदा ही उसकी जड़ें अभिसिन्चित।
पेड़ की जड़ें शनैः - शनैः सूखती जा रही हैं
उसके मोटे तने में नहीं हो पा रहा अब
उन पोषक तत्वों का भरपूर प्रवाह
जिनसे मिल सके उसकी हर एक फुनगी को
पल्लवित और पुष्पित होने की शक्ति।
पेड़ अपने ही अहं और आत्ममुग्धता का शिकार है,
वनों के भविष्य से उसने खुद ही नाता तोड़ लिया है
ऐसे में सूखकर मिट जाना ही
उसका भवितव्य है और
और उसकी प्रजाति का विलुप्त हो जाना
प्रकृति - चक्र की अनिवार्यता।
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