आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में

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Saturday, May 3, 2014

कौन? (1982)

बनाते फूलों के उपमान सदा से इस धरती के लोग
सजाकर काँटों के उपहार हृदय में रखने वाला कौन?

गुजरने पर करते गुण - गान मृतक का इस धरती के लोग
यादकर जीवित के उपकार मलय से रचने वाला कौन?

चिढ़ाकर बेवश व असहाय गिराते दिल पर बिजली लोग
बनाकर पीड़ा को मेहमान दर्द से रोने वाला कौन?

मिलाते धन वालों से हाथ हृदय से सारा नेह उड़ेल
दिखाकर निर्धनता से प्यार समय से भिड़ने वाला कौन?

फिसलते सुंदरता को देख प्रणय के रंग में रंगते लोग
बनाकर हर यौवन को बहन प्यार से रखने वाला कौन?

लुटाते खुशियों के अंबार जीत पर इस धरती के लोग
हार पर खो करके परिताप व्यथा में हँसने वाला कौन?

हिलाने को सारा संसार बना विस्फोटक तत्पर लोग
बनाकर जग को प्रेम - निकेत सुधा बरसाने वाला कौन?

पपीहे की सुन करुण पुकार दु:खी होते जग के कुछ लोग

पपीहा बनकर करुणा - गान सुनाकर जीने वाला कौन?

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