आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में

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Saturday, May 3, 2014

कुत्ता (2003)

कुत्‍ते ने दुम हिलाई
तो निचोड़ी हुई हड्डी पा गया
भौंकता तो शायद
भूखा ही रह जाता
कुत्‍ता अपने धर्म का पालन करता
तो कुत्ता ही बना रहता

उसने आदमियों से सीख ली

और ऐशो - आराम की जिंदगी जीने लगा। 

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