आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में

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Saturday, May 3, 2014

अजीब बात (2004)

घात - प्रतिघात
बीच बीच में जूता - लात
कभी - कभी गुजरात।
                       
रात - दिन
होते रहें उत्‍पात
सब देखें अपनी - अपनी
जात - पांत।

माल - ताल
डाल - डाल
ऐय्याशी पात - पात।

हारें या जीतें
पर करें सिर्फ अपनी बात
जनता की क्या बिसात।

राजनीति भी

कितनी अजीब बात।

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