"नाराज हो?"
"ऐसा लगा
क्या?"
"कुछ कष्ट
है?"
"किसको नहीं?"
"मुझसे कहो!"
"कैसे कहूँ?"
"कुछ तो
कहो!"
"क्या फायदा?"
"शायद करूँ
कुछ!"
"अब तक
किया क्या?"
"हर्ज़ क्या
है?"
"स्वयं बूझो!"
"तो चलूँ
मैं?"
"शीघ्रता क्या?"
"वोट दर -
दर माँगना
है।"
"ठीक है
तब।"
"चलो तुम
भी!"
"कहाँ इन
हालात में?"
"क्यों हुआ
क्या?"
"समय ही
बतलाएगा।"
"मान लूँ
गद्दार हो?"
"हुआ खुदमुख़्तार
हूँ।"
"कैसे चुगद
हो!"
"आप भी
कितने प्रमद
हो!"
"बाद में
बतलाउँगा!"
"वह वक़्त
अब आना
नहीं!"
"बदलाव यह
कब आ
गया जाना
नहीं!"
"अजी!
मेरी बात
ही अब
छोड़ दो,
हैरत है, तुमने
देश का
भी दर्द
पहचाना नहीं।"
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