आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में

आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में

Saturday, May 3, 2014

चिड़िया हार नहीं मानती (2006)

एक जिद्दी चिड़िया बार-बार
मेरे ड्राइंग रुम में घुसकर
परदे के हैंगर में अपना घोंसला बनाती है
पौ फटने से लेकर शाम ढलने तक
वह ड्राइंग रुम की खुली खिड़की से नित्य ही
घास के दर्ज़नों तिनके दबाकर लाती है
रोज़ाना सुबह सफाई के समय
उसके द्वारा लाकर जमाए गए ये तिनके
गिराकर बुहार दिए जाने के बावजूद
चिड़िया हार नहीं मानती
उस पर जैसे जुनून सवार है
मेरे ड्राइंग रुम की खिड़की में अपना घोंसला बनाने का

भयानक ख़तरों से भी नहीं डरती चिड़िया
मसलन खुली खिड़की में तेजी से घुसकर
भीतर घूमते सीलिंग फैन से टकराकर
अपना एक पंख तुड़वा चुकी है चिड़िया
अपने अधबने घोंसले में ही प्रसव - कर्म निभाकर
कई सारे अंडे भी फोड़वा चुकी है चिड़िया
रात के समय बन्द रहने वाली खिड़की से
भीतर न घुस पाने की विडंबना के चलते
जाड़ा, गरमी व बरसात की कई कठोर रातें
बाहर आम के पेड़ पर ही गुजार चुकी है चिड़िया

दु:ख होता है अक्सर
चिड़िया के नित्य टूटते अरमानों को देखकर
यह भी सोचा है कई बार मैंने कि
एक पिंजड़ा ही लाकर रख दिया जाय उसके रहने के लिए
लेकिन चिड़िया को क़ैद करने का मन भी नहीं करता
सोचता हूँ कभी तो समझ आएगी ही उसे
तब वह खुद ही बन्द कर देगी घुसना मेरे ड्राइंग रुम में
और बना लेगी बाहर किसी पेड़ पर ही अपना घोंसला
लेकिन अभी तक तो चिड़िया को ऐसी कोई समझ नहीं आई है
पता नहीं वह जिद्दी है या बेवकूफ
या फिर अपने अधिकार को पाने के लिए
मरते दम तक कोशिश करते रहने का
संकल्प लिए बैठी कोई संघर्ष - नायिका  
या फिर जीवन के नए आयाम तलाशने को मजबूर कोई प्रयोगवादी,
जो भी हो,
कुछ पाने का प्रयत्न करते रहना ही
अभावों का असली प्रतिरोध होता है,
इसे सिद्ध करते हुए
मेरे घर के ड्राइंग रुम में उसकी घुसपैठ अनवरत जारी है

मुझे प्राय: इस चिड़िया में
अपना गाँव - देश छोड़कर आए
दिल्ली के यमुना - पुश्ता में अथवा फ्लाईओवरों के नीचे
रोज़ झुग्गियों में बसने और उजड़ने को मजबूर
इन्सानों का चेहरा नज़र आता है
उनका हौंसला और संकल्प नज़र आता है
कभी - कभी चिड़िया मुझे उन्हीं विस्थापितों की तरह
अतिक्रमणकारी नज़र आने लगती है
वह अपना सब कुछ खोकर भी कभी नहीं थकती
और रोज़ सुबह होते ही
घास का तिनका चोंच में थामे
अपने नए आशियाने का निर्माण करने को आतुर चिड़िया
मेरे घर के सामने वाले आम के पेड़ पर बैठकर

ड्राइंग रुम की खिड़की खुलने की प्रतीक्षा करती है।

No comments:

Post a Comment