सुघड़ चिकने पय भरे फल
वक्ष पर ताने खड़ा
नवयौवना - सा
झूमता है नारियल तरु,
मेघ से रिमझिम बरसते
नीर का संगीत सुनता,
गुनगुनाता साथ में कुछ।
वक्ष पर ताने खड़ा
नवयौवना - सा
झूमता है नारियल तरु,
मेघ से रिमझिम बरसते
नीर का संगीत सुनता,
गुनगुनाता साथ में कुछ।
थरथराते पात भीगे
शीश पर लटके लटों से,
भर रही आवेश उनमें
छुवन बूँदों की निरन्तर,
पवन का झोंका अचानक
खींच लाया उसे मुझ तक
खुली खिड़की की डगर।
शीश पर लटके लटों से,
भर रही आवेश उनमें
छुवन बूँदों की निरन्तर,
पवन का झोंका अचानक
खींच लाया उसे मुझ तक
खुली खिड़की की डगर।
भींच करके स्निग्धता उसकी समूची
बाहुओं के पाश में निज
मैं चरम पर हूँ
परम उत्तेजना के,
निरत इस आनन्द में ही
उड़ गया कब संग पवन के
यह नहीं मालूम मुझको।
बाहुओं के पाश में निज
मैं चरम पर हूँ
परम उत्तेजना के,
निरत इस आनन्द में ही
उड़ गया कब संग पवन के
यह नहीं मालूम मुझको।
झूमता अब मैं वहाँ
उस तरु - शिखर पर
भीगता
लिपटा हुआउस नारियल की देह से।
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