सुनो!
चलौ, उठौ, अब नई जंग कै, चंगी फौज करौ तैयार। बुद्धि, विवेक, ज्ञान, साहस कै तानौ चमाचम्म तरवार॥
आल्हा - पाठ : केदारनाथ सिंह व नामवर जी की उपस्तिथि में
Saturday, May 3, 2014
स्वार्थ (1982)
हम
,
तुम
,
वह
,
आप
,
सब जुड़े हैं
स्वार्थ की ज़िल्द से
किताब के पन्नों की तरह।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment